सोमवार, 31 मार्च 2008

७०. आंसुओं को !




















आंसुओं
को बहुत समझाया के यूं ना आया करो ,
महफील में हमारा मजाक ना उड़ायाकरो ,
इस पर आंसू बोले महफील में तुम्हेअकेला पाते हैं
इसलिये चले आते हैं !!

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