सोमवार, 31 मार्च 2008

३५. हसीनाये तो !


हसीनाये तो अमीरों पर मरती है , इसमे मुझ जैसे गरीब का क्या दोष है ,
हसीनाये तो अमीरों पर मरती है , इसमे मुझ जैसे गरीब का क्या दोष है ,
इन हसीनाओं ने मुझे ठुख्राया है , जब से
मैंने संभाला होश है !!

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