सोमवार, 31 मार्च 2008

५८. खुशियों से नाराज़ !


खुशियों से नाराज़ है मेरी जिन्दगी ,
प्यार की मोहताज है मेरी जिन्दगी ,
हस लेता हू कभी लोगों को देख कर ,
वरना दर्द की किताब है मेरी जिन्दगी!!

कोई टिप्पणी नहीं: