सोमवार, 31 मार्च 2008

५६.कैसे आगे बढे !


कैसे आगे बढे हम जब ,
मंजिल ही हमारी कहीं पीछे टहर गई,
गुजर रहे थे जब उसके पास से ,
ना उसने रोका , ना उसने आवाज दी ,
सिर्फ़ खामोश रह गई !

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