सोमवार, 31 मार्च 2008

५१. हमें काश की !










हमें काश की वो नगमे ना सुनाये होते ,

आज उनको सुनकर ये अश्क ना आये होते ,

जो भुला देना था हमें ,

तो इतनी गहराई से दिल मे समाये ना होते !!

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