सोमवार, 31 मार्च 2008

७७.तरसते थे जो !


तरसते थे जो मिलने को कभी ,
आज वो क्यों मेरे साये से कतराते हैं ,
हम भी वही दिल भी वही ,
ना जाने क्यों लोग बदल जाते है !!

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