सोमवार, 31 मार्च 2008

८५. कीतना बेबस है !











कीतना बेबस है इंसान कीस्मत के बीना ,
कीतना दूर है सपना हकीकत के बीना ,
कोई रुकी हुई धड़कन से पूछे ,

कीतना तड़पता है दिल तेरी मोहब्बत के बीना !!

कोई टिप्पणी नहीं: