खामोशियाँ भी तेरी दिल को है गवारा अज़ीज-ए-जानशीन
के किस्सा-ओ- मोहोब्बत तेरी आँखों से बयान हो जाता
दिल-ए-नादान को लगती है चोट,वो रोता भी है कभी कभी
समझाना उसे आसान होता,गर लफ़्ज़ों का मरहम मिल पाता |
Re: Thoughts on last Ball
16 वर्ष पहले
"ZINDGI BAHUT TEJ CHALTI HAI, MAGER SABSE TEJ WAHI CHALTA HAI, JO SABSE AKELA CHALTA HAI"…..SO B ALONE N DON DEPEND UPON OTHER'S...
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