सोमवार, 31 मार्च 2008

४९. अपनी कीस्मत के !











अपनी कीस्मत के आगे बेबस है इंसान ,

बेबस है खवाब हकीकत के आगे ,

कोई रुकी हुई धड़कन से पूछे ,

कीतना तड़पता है दिल मोहब्बत के आगे !!

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