सोमवार, 31 मार्च 2008

४७. इन्तीज़ार -ऐ -इश्क !


इन्तीज़ार -ऐ -इश्क मे थक कर चूर -चूर हो गए ,
आंसूं हजार बहाए ख़ुद से तकरार करते करते ,
दो लफ्ज़ उनकी जुबान से ना निकले ,
टूट गए हम प्यार करते -करते !!

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