सोमवार, 31 मार्च 2008

१९. काश वो नगमे !


काश वो नगमे हमे सुनाये ना होते,

आज उनको सुनकर ये आंसू ना आये होते,

अगर इस तरह भूल जाना ही था ,
तो इतनी गहराई से दील में समाये ना होते
!!

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