सोमवार, 31 मार्च 2008

८४.करते है मोहब्बत !
















करते है मोहब्बत सब ही मगर ,
हर दिल को सीला कब मिलता है,
आती है बहारें गुलशन में ,
हर फूल मगर कब खीलता है !!

कोई टिप्पणी नहीं: