सोमवार, 31 मार्च 2008

५३.तरसते थे जो !


तरसते थे जो मिलने को कभी ,

आज वो क्यों मेरे साये से कतराते हैं ,

हम भी वही दिल भी वही ,

ना जाने क्यों लोग बदल जाते है .!!!!

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