सोमवार, 31 मार्च 2008

८०.काश यह जालीम !


काश यह जालीम जुदाई ना होती ,

ऐ खुदा तुने यह चीज़ बनाई ना होती ,

ना हम उनसे मीलते ना प्यार होता ,

जिन्दिगी जो अपनी थी वो परायी ना होती !!

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