गुरुवार, 1 जनवरी 2009

९३. सपनो की तरह

सपनो की तरह आकर चले गए ,
अपनों को भुला कर चले गए ,
किस भूल के सज़ा दी आपने हमें ,
पहले हँसाया फिर रुला कर चले गए ......

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