
रहो जमीं पे मगर आसमां का ख्वाब रखो तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो
मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें
महक वंफा की रखो और बेहिसाब रखो
अक्लमंदों में रहो तो अक्लमंदों की तरह
और नादानों में रहना हो रहो नादान से
वो जो कल था और अपना भी नहीं था दोस्तों
आज को लेकिन सजा लो एक नयी पहचान से!!!!
1 टिप्पणी:
BANDHU
SHUBH KAMNAE
SUNDER PRAYAS KE LIYE
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